Friday, August 26, 2011

समाज का ही अंग हैं हमारे संसद और विधान सभा में बैठने वाले और उनकी गरिमा की बात करने वाले फिर भी नहीं समाज के बरे में सोचते ?

मैं आज बहुत दुखी हूँ अन्ना हजारे जी के दशा से | अपनी दुःख और शुख को अपने ब्लॉग के माध्यम से अपने दोस्तों से भागीदारी करता हूँ | विगत मार्च से मैं अन्ना हजारे जी को जनता हूँ | उससे पहले शायद नाम सुना था या कभी तस्वीर में देखा होगा और ध्यान नहीं दिया जानने की जरुरत नहीं समझा | लेकिन विगत मार्च में जंतर - मन्त्र अनसन से उनके बरे में जानने के बाद इन्टरनेट पर उनके बरे में काफी कुछ पढ़ा और उनेहे एक अच्छा इन्सान समझने लगा और विगत मार्च से कभी कभी उनका अनुसरण करने में ख़ुशी अनुभव करता हूँ | इस लिहाज से आज बहुत दुखी हूँ | एक इन्सान अपनी जिन्दगी को दाव पर रखता है समाज के भला के लिए | जिस समाज का ही अंग हैं हमारे संसद और विधान सभा में बैठने वाले और उनकी गरिमा की बात करने वाले फिर भी वो कीयो नहीं समाज के बरे में सोचते ये मैं किसी से प्रश्न नहीं कर रहा हूँ | मैं इसका उत्तर लिख रहा हूँ लेकिन आप को मेरा ब्लॉग आगे पढना परेगा और इसका उत्तर मैं सत प्रतिसत तो नहीं दे रहा हूँ लेकिन १% भी दे रहा हूँ तो अपने आप को लायक समझुंगा |
१.) विगत मार्च में जब अन्ना हजारे जी को ये विस्वास दिलाया था सरकार ने की हम आप की बातो को आगे संसद में लेकर चर्चा करेंगे तभी सरकार ने क्या सोचा होगा ?
उत्तर : कोई बात नहीं अभी ४-५ महीने है जनता तो इतने में भूल जाएगी और हम किसी और कांड को अंजाम दे कर उनका ध्यान नए कांड पर खीच लेंगे |
२. ) जब सिविल सोसायटी और सरकार के कुछ वरिस्थ नेता और मंत्री के बिच बैठक हुआ तभी से सरकार की आँख मिचोली सुरु हो चूका था
कभी कपिल सिवल के भरकाऊ बात तो कभी किसी और मंत्री के सवाल के घेरे में घुमने घुमाना सुरु और जनता इसे उमीद के निगाहों से देखती और समझती रही | और वक्त का इंतजार ख़तम हुआ १६ अगस्त का दिन तय हुआ संखनाद का ! काफी खोज बिन करके सिविल सोसायटी ने जन लोकपालबिल बनाया काफी लोगो ने बढ़ चढ़ कर भागीदारी लिया अपनी समस्या और उसका निदान का सुझाव दिया | ये बात भी सही हैं की त्रुटी जरुर है जान लोकपाल बिल में कियो की कोई भी काम इन्सान से एक बार में सही हो जाये तो भागवान का अस्तित्व ख़तम हो जायेगा | पुराने गलतियों से शिख कर अगर हम आगे बढ़ रहे तो बुरा क्या है | ये बात संसद में बैठने वाले इसलिए नहीं समझते की उनकी गलतिया इतना बड़ा है की उनकी सजा का अंत नहीं दीखता |
३. ) जब १६ अगस्त का अनसन सुरु होने वाला था तब सरकार का पहल जनता को भटकाने का सुरु हुआ |
१.) अन्ना हजारे जी को गिरफ्तार किया गया पहला भटकाने का कदम था |
२.) फिर रामलीला मैदान में अनसन की रजामंदी देने का दूसरा भटकाने का पहल था |
३.) अलग अलग नेताओ का हर दिन अलग अलग मुद्दा पर खीचा तानी और आरोप प्रत्यारोप एक भटकाने के लिए अन्ना हजारे जी को तुम भ्रस्थ हो आदि वयान वाजी सुरु कभी संसद तो कभी सविधान की गरिमा की बातो में लटकाना कभी युवा नेता तो कभी ताजुर्वे वाले नेता के ओल झोल में लटकाना|
ऐसा इसलिए की जो राहुल गाँधी जी संसद में लम्बा सा भासन दे कर गुमराह कर रहे है वो खुद ही इन भ्रसटाचार में लिप्त है मैंने आज ही एक लेख में पढ़ा की राजीव गाँधी की विधवा ने अपने नाबालिग बेटा के नाम से २.२ करोर डालर स्विस बैंक में जमा कर रखा हैं ये तो मैं एक छोटा सा उदाहरण दे रहा हूँ मैं लेख का युआरल भी दे रहा हूँ जरुरपढ़े http://www.iretireearly.com/sonia-gandhi-and-congress-secret-billions-exposed. html
जब राहुल गाँधी नाबालिग थे तो सोनिया गाँधी विधवा नहीं थी जहाँ तक मैं जनता हूँ राजीव गाँधी जी जिस वर्स भागवान को प्यारे हुए थे मै चोथी में पढता था | ये जरुर हैं की ये शुभ काम राजीव गाँधी के द्वारा किया गया होगा अब आप ही बताये मेरे जैसा अदना सा इन्सान इतना पोल खोल सकता है राजीव गाँधी का काला करतूत पकर सकता तो जन लोकपाल में मेरे जैसे लाखो लोग का भागीदारी है ! वो किया किया पोल खोल सकते | घवराये नहीं हमारे विपक्ष के नेता जी भी कम नहीं है उनकी कारनामे भी उजागर ना हो इसलिए घुमाने का काम कर रहे है | ऐसे में आगे करना किया है ये अभी सोच नहीं पा रहा हमारा सिविल सोसायटी कियो की इनका तालुकात गंदे राजनीतियो से नहीं है | मैं काफी लोगो से समझने का कोसिस किया सिविल सोसायटी के बरे में जहा तक मैं समझ पा रहा हूँ की जन लोक पाल का किया होगा ये तो सुनिसचित नहीं कर सकता आम आदमी लेकिन ये आन्दोलन जनता को जागरूक बनाया | लोगो का कहना है की कही ना कही से सुरवात तो हुआ मै इस बात से काफी खुश हूँ की एक रिक्श्वा वाला भी जन लोकपाल के बरे में चर्चा पर ध्यान को केन्द्रित करता है जो इस देश के लिए बहुत बड़ा उपलब्धि है|

Monday, August 22, 2011

वैसे तो हम हनुमान है लेकिन आप हमें बन्दर कह सकते है ........

अन्ना हजारे को सादर नमन करते हुए ये ब्लॉग लिख रहा हूँ और गर्वान्वित भी हो रहा हूँ | मैं जिस परवरिश से तालुकात रखता हूँ वहा छोटे बच्चे को या कह सकते की मेरे बुजुर्ग ने हमें बाबु बीर कुवर सिंह की कहानी शिखाया महाराणा प्रताप शिवाजी की गाथा सुनाया जो आगे चल कर किताबो में भी पढ़ा | मेरे बुजुर्गो ने गाँधी जी का गाथा भी सुनाया और किताबो में भी पढ़ा लेकिन मैं गाँधी से कतई सहमत नहीं हूँ | मैं अगर उनको मानता हूँ तो मात्र इसलिए की वो हमारे मुद्रा पर विराजमान है और उसकी जरुरत हर किसी को होता | आज जो हम इतने आफद की जिन्दगी जी रहे बस उनीह का ये देन हैं | ये मेरा मानना है और इसपे किसी को प्रश्न करना तो कर सकते मैं उसका जवाब सही तर्क के साथ दे सकता हूँ जरुरत पारने पर | मुझे आज तक ये समझ नहीं आया की हमारा लोकतंत्र एक परिवार चलाता हैं तो कैसे इसे लोकतंत्र बोला जा सकता ये तो परिवारतंत्र है | जवहर लाल नेहरु > इन्द्रा गाँधी > राजीव गाँधी > सोनिया गाँधी > राहुल गाँधी, कियो ये कहाँ का लोकतंत्र है ? मैंने बी. आर . चोपरा द्वारा निर्मित महाभारत भी देखा है और उसे सदेव समझने का कोसिस करता हूँ | जहाँ तक समझ आता है राजा भरत ने कर्म को आधार मान कर जनतंत्र का नीव रखा था और राज सिंघासन को एक सुयोग्य के हाथ सोपा था ना की अपने सुपुत्र को | क्या मैं उसी भारतवर्ष का हूँ ये सोच कर स्ताभ्ध रहता हूँ | अब तक पढने पे आप सोच रहे होंगे की मैं क्या बताना चाह रहा हूँ |
मैं इन सात दिनों से बस लोगो में खरा होने पर बाद विवाद सुनता हूँ और खुद भी टिपनी कर देता हूँ | हर तरह के लोगो से वाकिफ होता हूँ कुछ का कहना होता कानून को इस तरह तोरा मरोरा नहीं जा सकता, जैसा अन्ना हजारे जी चाहते है | ऐसा बोलने वाले काफी किताबी अनुभव रखते है, और कुछ लोग कहते है ! सरकार गलत कर रही हैं जहाँ तक मेरा अनुभव है ऐसा बोलनेवाले सामान्य लोग हैं | जिनको बस दो वक्त की रोटी का चिंता रहता है | मुझे दोनों बातो में दम लगता है | वैसे तो मेरा कोई आदर्श नहीं है, मैं अपना आदर्श खुद को मानता हूँ लेकिन प्रेरणा लेता हूँ आगे बढ़ने के लिए महापुरशो का जिनमे सर्व्श्रेस्थ राजा भारत, भीष्म पितामह , विष्णु गुप्त (चाणक्य ), महाराणा प्रताप, पिर्थ्वी राज चोहान, बाबु बीर कुवर सिंह , विवेकानंद, विरसा मुंडा , खुदीराम बोस, मंगल पांडे, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह, आजाद इन सब का सबसे खाश बात जिससे मुझे प्रेरणा मिलता ये सभी साहसी थे और साहसी का साथ भाग्य देता है | इन महापुर्सो को मैं देखा नहीं केवल सुना और किताबो में पढ़ा लेकिन अन्ना हजारे जी का साहस को देख कर मैं जिन महापुर्सो का वर्णन किया उनकी झलक मैं अन्ना हजारे जी में अनुभव कर रहा हूँ | मैं नहीं जनता जन लोकपाल बिल सरकार मानती या नहीं लेकिन इतना जरुर समझ पा रहा हूँ की आम आदमी जो हनुमान के तरह है , जब तक इनहे अहसास नहीं दिलाओ की आप कितने ताकतवर है इन्हें समझ नहीं आता | अन्ना हजारे जी ने इतने हनुमा को अहसास कराया की लंका (सरकार ) का दहन होना तय है | इतना कुछ लिखने के बाद दिमाग में ये भी आ रहा है की ये ( हनुमान ) आम आदमी हनुमान जी के नाम पर बन्दर है खुद जानवर बने रहते है खुद गलती करते और खुद तमासा बनते है, खुद जागने की कोसिस नहीं करेंगे कोई जगानेवाला चाहिए | लिखने के लिए तो अभी काफी कुछ बाकि है , इन लेखनी को पढ़ कर अगर आप हमें कोसते है तो सायद आगे की लेखनी और अच्छा लिखने का कोसिस कर पाऊगा |

Friday, March 25, 2011

गाँव नहीं बदल रहा बदल रहे हम और आप हकीकत से अपना मुह छुपा रहे ऐसा कियो ?

मुझे ब्लॉग लिखना बहुत अच्छा लगता | इससे अपने आप को समझने में मदद मिलता अपने मन की बात को रख पाता | सही करता या नहीं मुझे नहीं पाता लेकिन मन को खुश जरुर कर लेता हूँ |
मैं कई बार अनुभव किया लोग केवल समस्या को मुद्दा बना कर आपस में लरने एक दुसरे को कोसने का काम करते | समस्या का निदान क्या हो सकता कैसे हो सकता ये कोई नहीं बताता | मैं बीबीसी पोर्टल पर शुसिल जी का ब्लॉग पढ़ा बदल गए गाँव, बाद विवाद था गाँव में अब सब कुछ बदल गया | कियो नहीं गाँव बदलेगा हम तमाम लोग जो शहर के हो कर रह गए | मैं अभी कुछ दिन पहले अपने गाँव गया | अपने बरे बुजुर्गो से मिला और उनके मन में एक मात्र खलबली था की मेरा बेटा पोता भी शहर जाये और शहरी बन जाये | फिर मैंने उनके दर्द को कुरेदने का काम करना सुरु किया | मैं ऐसा नहीं करना चाहता था लेकिन ऐसा नहीं करता तो अपना जिगयासा पूरा नहीं कर पाता की हमारे गाँव के लोग अपने बेटे पोता को शहरी कियो देखना चाहते हैं |

१. इन्सान दिखावे में जीता हैं ये सत्य हैं आप इससे मुहं नहीं मोर सकते | हर किसी को सपने देखने का और उसको पूरा करने का अधिकार भगवान ने दिया हैं और कोई कानून नहीं हैं की इस समस्या पर पावंदी लगा सके | जब हम शहर में रहने वाले लोग अपने गाँव में जाते तो ठाठ शहर का चाहते हैं और भले आप शहर में रिक्श्वा कियो नहीं चलाते, रोज दिन का दह्यारी करने वाले हैं, या आप ऑफिसर कियो ना हैं आप अपने गाँव पहुच कर शहर के २० रूपये की जिन्दगी को गाँव में ५० रूपये की जिन्दगी दीखाने लगते ये हकीकत ६०% से जयादा हैं भले आप शहर से कर्ज ले कर कियो ना गए हों उन बुजुर्गो के मन में एक प्रश्न खरा कर आते हैं | फलाना का बेटा पोता चिलाना शहर में रहता देखा गाँव आया किया ठाठ था उसका ये प्रश्न उन्हें अपने बेटे पोते को शहरी बनाने के लिए उत्सुक कर देता और गाँव का शहर में तब्दील होना सुरु हो जाता | उदहारण के तोर पर मेरे गाँव के बहुत से लोग दिल्ली में रहते हैं हर तरह के लोग रहते हैं | और जब भी गाँव जाते उनलोगों का दिल्ली का रहन सहन गाँव भी जाता जब की दिल्ली में कोई दरवान है कोई ड्राईवर हैं कोई एक्सपोर्ट कंपनी में काम करता किसी का पगार ५००० से जयादा नहीं होगा | लेकिन गाँव पहुच कर उनका पगार १०००० से काम नहीं रहता और ये समस्या हर साल २-४ को गाँव से शहर ले आता और जो समझदार होते वापस लोट जाते और जो हकीकत से भागते ओ दरवान का नोकरी कर लेते लेकिन अपने खेत में हल नहीं चला सकते इन्हें गुमराह होने से रोकने का काम करे गुमराह ना करे |
२. जब आप और हम जैसे लोग अपने गाँव जाते तो गाँव में समस्या किया हैं इन बातो पर ध्यान ही नहीं जाता | हम आप अपनी शहरी ठाठ दीखाने में लगे रहते थोरा टाइम निकाल कर गाँव के स्कूल में जा कर अगर देख ले की गाँव में रहने वाले के बच्चो को स्कूल में मास्टर जी सही शिक्षा दे रहे हैं या नहीं | लेकिन इससे हमारा आप का कोई लेना देना नहीं होता उन बच्चो के साथ आप थोरा टाइम नहीं दे सकते लेकिन बच्चा पढने में कैसा हैं अच्छा हैं या नहीं उनके बुजुर्गो को बता देते और उन बुजुर्गो के मन में एक प्रश्न खरा कर आते हैं |

३. आप हम जब गाँव जाते तो थोरा समय निकाल कर खेती बरी के समस्या को अगर समझ कर उनको इस समस्या से निकलने में सहयोग करे तो ये गाँव शहर नहीं बनेगा उनके फसल का पैदावार बढ़ जाता तो उनकी आमदनी बढ़ेगी और उनका हर सपना पूरा होगा और गाँव नहीं छोरना चाहेंगे |

४. आप हम जब भी गाँव जाये तो अपने संस्कृति को बचाने के लिए आप से जो बन सके भागीदारी दे और अपनी संस्कृति को बचाए | आप और हम ही ले जाते गाँव में लेटेस्ट टेक्नोलोजी और उन टेक्नोलोजी के माध्यम से आप अपने लोक गीत को भूल जाते और उन बुजुर्गो के मन में भी भूलने का प्रश्न छोर आते है |और आप ही लिखते हैं गाँव में लोक गीत ख़तम हो गया |

अगर हम और आप चाह ले तो गाँव शहर नहीं गाँव अपना स्वर्ग बना सकते बजाय भासन पोस्ट करने के अपने गाँव में थोरा समय दे जो आप से बन पाए और सही नजरया रखे हमारी कोई बात अगर किसी को ठेस पंहुचा रहा हो तो हमें माफ़ कीजियेगा उससे पहले एक मिनट ईमानदारी से सोचयेगा हकीकत दिखेगा और फिर ठेस नहीं पहुचेगा नजरया आप का सोचने का किया हैं |

Friday, March 18, 2011

अपने आत्मा को सठियाने से रोक सकते है |

मैंने आज बीबीसी न्यूज़ पोर्टल पर एक ब्लॉग पढ़ा अच्छा लगा ब्रजेश उपाध्याय जी ने ब्लॉग लिखा |
सठिया गई है अंतरात्मा थोरे देर मैं भी सोचने लगा | ब्लॉग पे बाद विवाद था लाखों बेबस लाचार अनपढ़ महिलाओं को छोटे-छोटे कर्ज़ दिलाकर एक मान सम्मान की ज़िंदगी देनेवाले नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद युनूस, को उन्हीं के देश की महिला प्रधानमंत्री जब "ख़ून चूसने वाले" की उपाधि दे दी | ममता दीदी कह रही हैं कि वे चुनाव जीतने के बाद बंगाल को बदल देंगीं.| बिनायक सेन पर देशद्रोह का आरोप लगता है | माननीय प्रधान मंत्री जी मनमोहन सिंह को वोट खरीदने बेचने के आरोप | जापान के प्रधान मंत्री जापान की सही हालत को छुपा रहे है विक्कीलीक्स के दस्तावेज पे बवाल |
अब सवाल उठती है की इन सभी समस्या में उलझी आत्मा सठिया कियो गई और किसकी/ किसका आत्मा सठिया गई |
मैं कोई उची ओदा वाला इन्सान नहीं हूँ , ना ही मैं विद्वान हूँ, ना मैं कोई राज नेता हूँ , ना मैं कोई लेखक हूँ , ना मैं कोई पत्रकार हूँ ,बस मैं अपनी सोच और समझ दोस्तों तक कुछ सन्देश भेजने का कम करता हूँ अपने फेसबुक और ट्विट्टर को अपडेट करके |
ब्रजेश जी ने अपने ब्लॉग पे एक और बात लिखा है ''लेकिन अंतरात्मा भी आजकल डिप्लोमैटिक हो गई है. पहले गूगल पर सर्च करती है, कुछ पुराने आरोपों-अनुभवों पर नज़र दौड़ाती है और फिर चुप रहने में ही अपनी भलाई समझती है.' आप लोग खुद अनुभव कर सकते हमारे भारत में कितने लोग इन्टरनेट जानते है, और कितने लोग गूगल को जानते है | मैं बस हकीकत बताना चाहता हूँ | हमारे देश में भूख को मिटाने और तन को ढकने की जरुरत काम पे अगर हम सब लोग धयान दे तो ये समस्या से निजत पा सकते की सठिया गई है अंतरात्मा |

अब मैं बताता हूँ आत्मा कहाँ सठिया गई |
आप सोचये भगवन ने इस संसार में कई प्राणी को भेजा लेकिन हम इन्सान से उमीद रख कर कुछ अलग बनाया, और एक अस्त्र दिया जिसका नाम दिमाग दिया, और हम उस दिमाग का उपयोग अपने आप को चाँद सितारों से हाथ मिलाने के लिए करने लगे | निक्य्लोर पॉवर जैसे सिस्टम तक पहुच गए | इन सब तरक्की के दरमयान हम ये भूलते चले गए की एक हम से भी जयादा दिमाग वाला है, जो हमें दिमाग दिया और उनके बनाये उसुलू को तोरते मरोरते चले गए | अब आप सोचये जब हम एक दुसरे के बात से सहमत नहीं होते | अच्छे बुरे में तो हमारी आपसी रंजिस हो जाता | एक दुसरे को मारने मरने पे उतारू हो जाता हैं, तो सोचये जिसने हमें जीने का हक़ दिया सुन्दर सा दुनिया बना कर दिया हवा पानी सूर्य चाँद दिया और हम उनकी बातो से सहमत नहीं रहते तो ओ कितना नाराज हो रहा होगा | हम पर यही अहसाश दिलाने के लिए भूकंप और सोनामी जैसे लीला प्रकृति करती रहती है | हमारी आत्मा यहाँ सठिया गई हम अपने चका चाँद जिन्दगी बनाने के लिए उन प्रजाति की कोई कीमत ही नहीं समझते जो हमारे संपर्क में रोजमरा नहीं आता | एक उदाहरण के तोर पे भारत में १३० + मछलिया की प्रजाति पाई जाती थी आज से कुछ दसक पहले और अभी भारत में मात्र ८३-८५ प्रजाति की मछलिया पाई जाती है | आप सोचये अगर हम इन्सान में लरका या लरकी काला या गोरा इन्सान, लम्बा या बोना इन्सान, में से किसी एक का अस्तित्व ख़तम हो जाये तो इन्सान का क्या पहचान रह जायेगा | इसी तरह और प्रजाति की भी समस्या हैं | हम आप विज्ञानं के किताब में लाइफ साइकल वयवस्था पढ़े है की एक के बिना लाइफ साइकल टूट जायेगा और प्रलय हो जायेगा | ऐसी कई सरे उदाहरण आप को मिलेंगे सोचये डयानासुर जैसे प्राणी तब्दील और लुप्त हो सकता तो हम आदमी की क्या ? यहाँ हम जो अपनी आत्मा को सठिया रहे इसे सठियाने ना दे | प्रकृति को सजोगने के लिए आप अपनी सेवा दे | जब प्रकृति नहीं रहेगा तो हम कोंन से मनमोहन सिंह जी और कोंन से विनायक सेन जी को कटघरे में घेरेंगे |

दोस्तों इसके लिए एक सुझाव मैं अपनी तरफ से रखता हूँ जिन लोगो को सुझाव अच्छा लगे कृपा कर सहयोग के लिए अपनी हाथ बढ़ाये |
जो भी दोस्त फेसबुक में ये ब्लॉग पढ़ते हैं ओर आप को लगता है की आप जॉब कर रहे है १०००० रूपये प्रति माह आप की आय हैं | आप अपनी आय का २०० रूपये प्रति माह प्रकृति को बचाने के लिए खर्च कर सकते है | दोस्त आप २०० रूपये नहीं दे सकते तो आप और तरह से सहयोग दे सकते हैं | अब आप के पास ये प्रश्न हैं की २०० रूपये प्रति माह से क्या होगा | हम १० लोग भी अगर आगे बढे तो महीने के २००० रूपये जोर कर २ -४ पेर लगा सकते हैं | ऐसे अगर हम ५ साल भी करते तो २०० पेर जरुर लगा लेंगे | अब आप ये पूछते हैं की हमारे देश में बहुत संस्था है सरकार हैं |
मैं मानता हूँ सरकार चाहे जो भी पार्टी का हो उनको तो अपनी सियासती रोटी और कुर्सी के सिवाय कुछ नहीं करना | और जो संस्था हैं बस इन बातो के पीछे अपना बिज़नस चला रहे १० पेर लगते और १०० पेर बताते है अपनी टेक्स बचाते और देश के प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए अपना दस्तावेज भेजदेता | मैं इन लोगो से हट के बात करता हूँ | जो भाई दोस्त दिल्ली में हैं जो और जगह हैं बिना दूर के सोचे निह्सवार्थ ये कार्य में सहयोग दे और प्रकृति को बचाने का गोरव पाए | हर कोई कुछ भी अपनी स्वार्थ के लिए करता मैं भी अपनी स्वार्थ में ऐसा सोच रहा हूँ लेकिन जब स्वार्थ भला के लिए हो तो नजरया अलग कर के सोचना चाहिए | मैं ऐसा करने में अपनी एक बुरी आदत को छोरने के लिए उत्सुक हूँ | सायद हमारे जैसे कई लोग हैं और उनकी मज़बूरी कही मेरे से बढ़ कर हो सकता | मैं सिगरेट पिता हूँ मैं इन रूपये से पेर लगाने को तैयार हूँ आप तमाम लोगो में कोई ना कोई ऐसी आदत होगा उसे थोरा कम कर के ये सोच सकते | सायद ये थोरा अटपटा लग रहा होगा दोस्तों लेकिन जरा सोचये हमारे जैसे करोरो लोग हैं, जो अपनी बुरी आदत से २०० रूपये बचा कर पेर लगा सकते | इसके लिए आपको कोई कागजी करवाई नहीं करना परेगा आप अपने आस पास के स्कूल सरक के किनारे अपने घर के आसपास भी कर सकते | घर पे करने की तो अलग बात है | अगर सरक के किनारे का योजना हो तो हम १० दोस्त मिल कर ऐसा कर सकते और इसके लिए हम किसी कानून वाव्स्था को अपने हाथ में नहीं लेंगे हम कोसिस करेंगे अपने आसपास के सरकारी दफ्तर से सहयोग लेंगे |

ऐसा हम कर सकते जरा सोचये अपने आत्मा से पुछये अगर मेरा ब्लॉग पढने के बाद किसी को अगर मुझे कोसने का मन करे तो जरुर कोसयेगा आप का हक़ है | आप को अच्छा नहीं लगे तो ख़राब बोलना हक़ हैं आपका | अगर लगता है आप मदद के लिए आगे आ सकते तो फेसबुक पे ही आप अपना योजना बना कर अपने सभी दोस्तों से आग्रह कर सकते और फिर सभी दोस्त मिल कर आगे कैसे ये सफल हो सकता सोचने लगेंगे और इसे जमीन तक लाने का |

अंततह हम अपने आत्मा को सठियाने से रोक सकते है |

Monday, February 7, 2011

जरा आप भी सोचये हम ऐसा कियो नहीं सोचता .....

नमस्ते दोस्तों |
अपनी भागती दोरती जिन्दगी में अपनी कीमती समय को निकल कर ब्लॉग लिखना बहुत बरी बात होता हैं | ब्लॉग मैं इसलिए लिखता हूँ की आप सभी भी थोरा समय निकल कर देश दुनिया के आच्छा बुरा में अपना भागीदारी देने और लेने में और खुद की हक़ की हिफाजत कर सके |
मैं विजय त्रिवेदी जी का एक प्रोग्राम देख रहा था चमरी चोर थोरी देर तो ऐसा लगा की न्यूज़ चेनल अपना काम कर रहा लेकिन कुछ देर बाद मेरे टीवी स्क्रीन पर मोटि शब्द में लिखा आया की भारत में प्रति वर्स १४००० शरीर के अंग दान के द्वारा जमा होता हैं | लेकिन इसी भारत वर्स में प्रति वर्स ७०००० शरीर के अंग का प्रित्यापन किया जाता हैं | अब सोचने की बात ये हैं की आप अगर १ रूपये कमाते और ५ रूपये खर्च करते तो या तो आप कर्ज लेते जो की एक निश्चित समय तक आप को कर्ज देने वाले को वापस करना होता हैं| इस कर्ज को तोरने के लिए आप अपना मेहनत बढ़ा कर सायद निजात पा सकते और इसमें सफल ना हो पाए तो आप भी अवैध कार्यो में शामिल होने लगते अपनी कर्ज से निकलने के लिए | फिर समाज में आप के बारे में कई तरह के बाते बनाया जाता हैं | आप को सजा भी मिलता लेकिन आप का कुछ नहीं होता पता हैं कियो ? कियोकी हम जो हैं इस बात से ही खुस रहते की आप पर करवाई शुरू हो गया इसके बाद हम जो हैं आप को भूल जाते हैं की आप ने कुछ किया था जिससे समाज में अराजकता आई | मैं बहुत छोटा था जब हवाला और चारा घोटाला हुआ था | कभी कभी पापा और उनके दोस्तों को इन विषयों पर चर्चा करते सुनता था तो समझ नहीं आता की ये किया बात कर रहे पापा | जब मैं देश दुनिया को समझने लगा तो राजनीती, कूटनीति अर्थ वयवस्था प्रशासन वयवस्था और जो भी वयवस्था समझने की कोसिस करने लगा | आख़िरकार समझ में कोई वयवस्था नहीं आई और मैं समझ पाया कंप्यूटर और इन्टरनेट वयवस्था और मैं अपने पेट की सेवा करने के लिए इसे अच्छी तरह समझ पाया और अपनी पेट का सेवा अच्छा से कर लेता हूँ | जब पेट खुश रहता तो बेचारा दिमाग भी खुश हो जाता और फिर कुछ सोचने समझने लगता हूँ | आय दिन सुनता रहता हूँ सी .डब्लुए .जी घोटाला ७०००० करोर २जि १७५००० करोर का घोटाला आदर्श घोटाला और कई सरे घोटाले के बारे में स्विस बैंक में जमा कला धन का तो हिसाब का कहना मुस्किल हैं | सरकार के लिए महगाई समस्या जनता के लिए महगाई समस्या कियो ? जब इतने सरे रूपये की कोई लेखा जोखा नहीं हो तो महगाई कियो ना अपना तानदव करेगी | आज तक मुझे नहीं लगता इन सब गतिविधियों में सामिल हमारे नेता जी या अधिकारी गन को कोई सजा मिला हो | सिनेमा में देखने को मिलता कानून अंधी तो हैं लेकिन सच की जित दिलाती मुझे नहीं लगता ऐसा आप को लगता तो जरुर बताएगा | मेरे मन में एक सवाल हमेशा आता की हमारे कानून में ६४-६५ साल में नोकरशाही को विराम देने का प्रावधान हैं | फिर हमारे नेताजी लोग जो अपनी इन पराव को पार कर चुके अपने गद्दी कियो नहीं छोरते इसका कारण भी मैं बताता हूँ आप को| हम जो हैं वो इनको चुन कर लाते हैं , इसलिए मुझे इक सूझ आया हैं की कियो ना हम ६४-६५ साल के इन नेताजी का बहिसकर करे | अगर आप के पास कोई सुझाव हो तो बताने का कृपा करे | और मेरा मानना हैं जब तक ये दादा जी रास्ते से नहीं हटते तब तक हमारे जैसे पोता कुछ नहीं कर सकता |

मैं अपनी होसो हवास में रहते हुए आप से अनुरोध करता हूँ की इन दादाजी नेताजी को मतदान के लिए नहीं चुने आप हम अगर ऐसा चाहते हैं तो पक्का हो सकता | हम आप से सहमत हैं नयी खून में जोश की तो कमी नहीं होता लेकिन होस खोने का दर रहता लेकिन ऐसा बहुत काम होता | आज का जमाना बदल चूका हैं | हमारे बुजुर्ग नेता जी ही दुस्कर्मो के भागीदार होते | २५-३५ साल के नेता जी का बलात्कार का केस नहीं सुनने को मिला हैं आप को लेकिन ४५+ के नेता जी का कई ऐसे कारनामे आपने भी सुना होगा | इससे सवित होता की नई खून में वहसी पाना नहीं हैं |

दोस्तों इस ब्लॉग का सरांस लिखने के लिए हमें और समय चाहिए आगे हम सरांस लिखेंगे ....|

Thursday, January 27, 2011

सच भगवन ही ऐसे लोगो का मदद करता | बात ख़तम नहीं हुई दोस्तों आगे फिर लिखेंगे ......

मैं आज बाजार में सब्जिय खरीद रहा था | आलू १० रुपये के सवा किलो प्याज ४० रुपये किलो लहसन ३० रुपये के १०० ग्राम टमाटर २० रुपये किलो ! तभी एक आदमी दुकान पर आया कपरे के पहरावे से ही पता चलता था की रोज की मजदूरी करने वाले हैं | जब उसने ५० रुपये का नोट निकला और दुकानदार से सारा भाव मोल करने के बाद पव भर गोभी आधा किलो आलू लेने के बाद दुकानदार से १०० ग्राम प्याज देने बोला दुकानदार ने दू तुक जबाव दिया नहीं पाव से कम नहीं मिलेगा | थोरी देर तक मैं सोचता रहा फिर पूछा भाई ऐसा कियो दुकानदार ने बोला सर जी १०० ग्राम में या तो १० ग्राम जयादा देना परेगा या १० ग्राम कम आप बताये अगर ऐसे १० लोग आ जाये तो या हमें तू तू मै मैं करना परेगा या फिर १० रूपये का नुकसान सहना परेगा आप बताये इस जगह पे आप किया करते | दुकान वाले का अपना सोच को हम गलत नहीं कह सकते अगर ईमानदारी की बात करे तो | फिर मैं उस आदमी के साथ दुकान से चल परे रस्ते में मैंने उनसे पूछा आप किया करते हैं उसने हमें बताया सर मैं दुकान से लोगो के घर तक सामान पहुचाते हैं | दुकान मालिक हमें २5०० रुपये तनखाह देता हैं | और कभी कभी जिनके घर सामान पहुचने जाते वो भी १०-२० रुपये दे देते हैं | मिला जुला के ३००० - ३५०० रुपये कमा लेता हूँ | फिर मैंने उनसे पूछा आप के घर में कितने लोग हैं ? उसने बताया २ बच्चे हैं , और बीबी हैं | फिर मैंने उनसे पूछा बच्चे कितने बरे हैं उसने बताया एक आठवी में पढता हैं और एक पाचवी में सरकारी स्कूल में पढता हैं | फिर मैंने पूछा उनसे आप कैसे घर का खर्चा शम्भालते हैं बोला सरजी भगवन की दया से | मैं वापस अपने रूम में आया और ये सोचता रहा रात भर अगर वो इन्सान कम से कम १००० रुपये घर का किराया देता होगा जैसा मेरे सामने उसने ३० रुपये का सब्जीया ख़रीदा तो अभी चावल और आता तेल मसाला गैस या किरोसन तेल तो अभी बचा ही हैं | ये सोच कर रात भर नींद नहीं आया | अगर आप ये पढ़कर ये सोचते हैं की मैं ने ऐसा क्यों लिखा तो आप को जान कर खुसी होगी की कम से कम हम आप तक ये बात पंहुचा सके और थोरी देर आप को भी सोचने के लिए मजबूर कर दिए | यह भी बता दू की मैं राजनीती विषयो पर बहस नहीं करता हूँ | मैं बस इतना चाहता हूँ की जिनका विवरण मैं लिखा इनके जैसे आधी आवादी मेरे देश में हैं | प्लीज ऐसे लोगो का मदद कैसे हो सकता ???????

Thursday, January 20, 2011

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[command] Specifies a command NEW
[datalist] Specifies an "autocomplete" dropdown list NEW
[dd] Specifies a definition description
[del] Specifies deleted text
[details] Specifies details of an element NEW
[dfn] Defines a definition term
[div] Specifies a section in a document
[dl] Specifies a definition list
[dt] Specifies a definition term
[em] Specifies emphasized text
[embed] Specifies external application or interactive content NEW
[eventsource] Specifies a target for events sent by a server NEW
[fieldset] Specifies a fieldset
[figcaption] Specifies caption for the figure element. NEW
[figure] Specifies a group of media content, and their caption NEW
[footer] Specifies a footer for a section or page NEW
[form] Specifies a form
[h1] Specifies a heading level 1
[h2] Specifies a heading level 2
[h3] Specifies a heading level 3
[h4] Specifies a heading level 4
[h5] Specifies a heading level 5
[h6] Specifies a heading level 6
[head] Specifies information about the document
[header] Specifies a group of introductory or navigational aids, including hgroup elements NEW
[hgroup] Specifies a header for a section or page NEW
[hr] Specifies a horizontal rule
[html] Specifies an html document
[i] Specifies italic text
[iframe] Specifies an inline sub window (frame)
[img] Specifies an image
[input] Specifies an input field
[ins] Specifies inserted text
[kbd] Specifies keyboard text
[keygen] Generates a key pair NEW
[label] Specifies a label for a form control
[legend] Specifies a title in a fieldset
[li] Specifies a list item
[link] Specifies a resource reference
[mark] Specifies marked text NEW
[map] Specifies an image map
[menu] Specifies a menu list
[meta] Specifies meta information
[meter] Specifies measurement within a predefined range NEW
[nav] Specifies navigation links NEW
[noscript] Specifies a noscript section
[object] Specifies an embedded object
[ol] Specifies an ordered list
[optgroup] Specifies an option group
[option] Specifies an option in a drop-down list
[output] Specifies some types of output NEW
[p] Specifies a paragraph
[param] Specifies a parameter for an object
[pre] Specifies preformatted text
[progress] Specifies progress of a task of any kind NEW
[q] Specifies a short quotation
[ruby] Specifies a ruby annotation (used in East Asian typography) NEW
[rp] Used for the benefit of browsers that don't support ruby annotations NEW
[rt] Specifies the ruby text component of a ruby annotation. NEW
[samp] Specifies sample computer code
[script] Specifies a script
[section] Specifies a section NEW
[select] Specifies a selectable list
[small] Specifies small text
[source] Specifies media resources NEW
[span] Specifies a section in a document
[strong] Specifies strong text
[style] Specifies a style definition
[sub] Specifies subscripted text
[summary] Specifies a summary/caption for the [details] element NEW
[sup] Specifies superscripted text
[table] Specifies a table
[tbody] Specifies a table body
[td] Specifies a table cell
[textarea] Specifies a text area
[tfoot] Specifies a table footer
[th] Specifies a table header
[thead] Specifies a table header
[time] Specifies a date/time NEW
[title] Specifies the document title
[tr] Specifies a table row
[ul] Specifies an unordered list
[var] Specifies a variable
[video] Specifies a video NEW
[wbr] Specifies a line break opportunity for very long words and strings of text with no spaces. NEW