Monday, August 22, 2011

वैसे तो हम हनुमान है लेकिन आप हमें बन्दर कह सकते है ........

अन्ना हजारे को सादर नमन करते हुए ये ब्लॉग लिख रहा हूँ और गर्वान्वित भी हो रहा हूँ | मैं जिस परवरिश से तालुकात रखता हूँ वहा छोटे बच्चे को या कह सकते की मेरे बुजुर्ग ने हमें बाबु बीर कुवर सिंह की कहानी शिखाया महाराणा प्रताप शिवाजी की गाथा सुनाया जो आगे चल कर किताबो में भी पढ़ा | मेरे बुजुर्गो ने गाँधी जी का गाथा भी सुनाया और किताबो में भी पढ़ा लेकिन मैं गाँधी से कतई सहमत नहीं हूँ | मैं अगर उनको मानता हूँ तो मात्र इसलिए की वो हमारे मुद्रा पर विराजमान है और उसकी जरुरत हर किसी को होता | आज जो हम इतने आफद की जिन्दगी जी रहे बस उनीह का ये देन हैं | ये मेरा मानना है और इसपे किसी को प्रश्न करना तो कर सकते मैं उसका जवाब सही तर्क के साथ दे सकता हूँ जरुरत पारने पर | मुझे आज तक ये समझ नहीं आया की हमारा लोकतंत्र एक परिवार चलाता हैं तो कैसे इसे लोकतंत्र बोला जा सकता ये तो परिवारतंत्र है | जवहर लाल नेहरु > इन्द्रा गाँधी > राजीव गाँधी > सोनिया गाँधी > राहुल गाँधी, कियो ये कहाँ का लोकतंत्र है ? मैंने बी. आर . चोपरा द्वारा निर्मित महाभारत भी देखा है और उसे सदेव समझने का कोसिस करता हूँ | जहाँ तक समझ आता है राजा भरत ने कर्म को आधार मान कर जनतंत्र का नीव रखा था और राज सिंघासन को एक सुयोग्य के हाथ सोपा था ना की अपने सुपुत्र को | क्या मैं उसी भारतवर्ष का हूँ ये सोच कर स्ताभ्ध रहता हूँ | अब तक पढने पे आप सोच रहे होंगे की मैं क्या बताना चाह रहा हूँ |
मैं इन सात दिनों से बस लोगो में खरा होने पर बाद विवाद सुनता हूँ और खुद भी टिपनी कर देता हूँ | हर तरह के लोगो से वाकिफ होता हूँ कुछ का कहना होता कानून को इस तरह तोरा मरोरा नहीं जा सकता, जैसा अन्ना हजारे जी चाहते है | ऐसा बोलने वाले काफी किताबी अनुभव रखते है, और कुछ लोग कहते है ! सरकार गलत कर रही हैं जहाँ तक मेरा अनुभव है ऐसा बोलनेवाले सामान्य लोग हैं | जिनको बस दो वक्त की रोटी का चिंता रहता है | मुझे दोनों बातो में दम लगता है | वैसे तो मेरा कोई आदर्श नहीं है, मैं अपना आदर्श खुद को मानता हूँ लेकिन प्रेरणा लेता हूँ आगे बढ़ने के लिए महापुरशो का जिनमे सर्व्श्रेस्थ राजा भारत, भीष्म पितामह , विष्णु गुप्त (चाणक्य ), महाराणा प्रताप, पिर्थ्वी राज चोहान, बाबु बीर कुवर सिंह , विवेकानंद, विरसा मुंडा , खुदीराम बोस, मंगल पांडे, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह, आजाद इन सब का सबसे खाश बात जिससे मुझे प्रेरणा मिलता ये सभी साहसी थे और साहसी का साथ भाग्य देता है | इन महापुर्सो को मैं देखा नहीं केवल सुना और किताबो में पढ़ा लेकिन अन्ना हजारे जी का साहस को देख कर मैं जिन महापुर्सो का वर्णन किया उनकी झलक मैं अन्ना हजारे जी में अनुभव कर रहा हूँ | मैं नहीं जनता जन लोकपाल बिल सरकार मानती या नहीं लेकिन इतना जरुर समझ पा रहा हूँ की आम आदमी जो हनुमान के तरह है , जब तक इनहे अहसास नहीं दिलाओ की आप कितने ताकतवर है इन्हें समझ नहीं आता | अन्ना हजारे जी ने इतने हनुमा को अहसास कराया की लंका (सरकार ) का दहन होना तय है | इतना कुछ लिखने के बाद दिमाग में ये भी आ रहा है की ये ( हनुमान ) आम आदमी हनुमान जी के नाम पर बन्दर है खुद जानवर बने रहते है खुद गलती करते और खुद तमासा बनते है, खुद जागने की कोसिस नहीं करेंगे कोई जगानेवाला चाहिए | लिखने के लिए तो अभी काफी कुछ बाकि है , इन लेखनी को पढ़ कर अगर आप हमें कोसते है तो सायद आगे की लेखनी और अच्छा लिखने का कोसिस कर पाऊगा |

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