Friday, August 26, 2011

समाज का ही अंग हैं हमारे संसद और विधान सभा में बैठने वाले और उनकी गरिमा की बात करने वाले फिर भी नहीं समाज के बरे में सोचते ?

मैं आज बहुत दुखी हूँ अन्ना हजारे जी के दशा से | अपनी दुःख और शुख को अपने ब्लॉग के माध्यम से अपने दोस्तों से भागीदारी करता हूँ | विगत मार्च से मैं अन्ना हजारे जी को जनता हूँ | उससे पहले शायद नाम सुना था या कभी तस्वीर में देखा होगा और ध्यान नहीं दिया जानने की जरुरत नहीं समझा | लेकिन विगत मार्च में जंतर - मन्त्र अनसन से उनके बरे में जानने के बाद इन्टरनेट पर उनके बरे में काफी कुछ पढ़ा और उनेहे एक अच्छा इन्सान समझने लगा और विगत मार्च से कभी कभी उनका अनुसरण करने में ख़ुशी अनुभव करता हूँ | इस लिहाज से आज बहुत दुखी हूँ | एक इन्सान अपनी जिन्दगी को दाव पर रखता है समाज के भला के लिए | जिस समाज का ही अंग हैं हमारे संसद और विधान सभा में बैठने वाले और उनकी गरिमा की बात करने वाले फिर भी वो कीयो नहीं समाज के बरे में सोचते ये मैं किसी से प्रश्न नहीं कर रहा हूँ | मैं इसका उत्तर लिख रहा हूँ लेकिन आप को मेरा ब्लॉग आगे पढना परेगा और इसका उत्तर मैं सत प्रतिसत तो नहीं दे रहा हूँ लेकिन १% भी दे रहा हूँ तो अपने आप को लायक समझुंगा |
१.) विगत मार्च में जब अन्ना हजारे जी को ये विस्वास दिलाया था सरकार ने की हम आप की बातो को आगे संसद में लेकर चर्चा करेंगे तभी सरकार ने क्या सोचा होगा ?
उत्तर : कोई बात नहीं अभी ४-५ महीने है जनता तो इतने में भूल जाएगी और हम किसी और कांड को अंजाम दे कर उनका ध्यान नए कांड पर खीच लेंगे |
२. ) जब सिविल सोसायटी और सरकार के कुछ वरिस्थ नेता और मंत्री के बिच बैठक हुआ तभी से सरकार की आँख मिचोली सुरु हो चूका था
कभी कपिल सिवल के भरकाऊ बात तो कभी किसी और मंत्री के सवाल के घेरे में घुमने घुमाना सुरु और जनता इसे उमीद के निगाहों से देखती और समझती रही | और वक्त का इंतजार ख़तम हुआ १६ अगस्त का दिन तय हुआ संखनाद का ! काफी खोज बिन करके सिविल सोसायटी ने जन लोकपालबिल बनाया काफी लोगो ने बढ़ चढ़ कर भागीदारी लिया अपनी समस्या और उसका निदान का सुझाव दिया | ये बात भी सही हैं की त्रुटी जरुर है जान लोकपाल बिल में कियो की कोई भी काम इन्सान से एक बार में सही हो जाये तो भागवान का अस्तित्व ख़तम हो जायेगा | पुराने गलतियों से शिख कर अगर हम आगे बढ़ रहे तो बुरा क्या है | ये बात संसद में बैठने वाले इसलिए नहीं समझते की उनकी गलतिया इतना बड़ा है की उनकी सजा का अंत नहीं दीखता |
३. ) जब १६ अगस्त का अनसन सुरु होने वाला था तब सरकार का पहल जनता को भटकाने का सुरु हुआ |
१.) अन्ना हजारे जी को गिरफ्तार किया गया पहला भटकाने का कदम था |
२.) फिर रामलीला मैदान में अनसन की रजामंदी देने का दूसरा भटकाने का पहल था |
३.) अलग अलग नेताओ का हर दिन अलग अलग मुद्दा पर खीचा तानी और आरोप प्रत्यारोप एक भटकाने के लिए अन्ना हजारे जी को तुम भ्रस्थ हो आदि वयान वाजी सुरु कभी संसद तो कभी सविधान की गरिमा की बातो में लटकाना कभी युवा नेता तो कभी ताजुर्वे वाले नेता के ओल झोल में लटकाना|
ऐसा इसलिए की जो राहुल गाँधी जी संसद में लम्बा सा भासन दे कर गुमराह कर रहे है वो खुद ही इन भ्रसटाचार में लिप्त है मैंने आज ही एक लेख में पढ़ा की राजीव गाँधी की विधवा ने अपने नाबालिग बेटा के नाम से २.२ करोर डालर स्विस बैंक में जमा कर रखा हैं ये तो मैं एक छोटा सा उदाहरण दे रहा हूँ मैं लेख का युआरल भी दे रहा हूँ जरुरपढ़े http://www.iretireearly.com/sonia-gandhi-and-congress-secret-billions-exposed. html
जब राहुल गाँधी नाबालिग थे तो सोनिया गाँधी विधवा नहीं थी जहाँ तक मैं जनता हूँ राजीव गाँधी जी जिस वर्स भागवान को प्यारे हुए थे मै चोथी में पढता था | ये जरुर हैं की ये शुभ काम राजीव गाँधी के द्वारा किया गया होगा अब आप ही बताये मेरे जैसा अदना सा इन्सान इतना पोल खोल सकता है राजीव गाँधी का काला करतूत पकर सकता तो जन लोकपाल में मेरे जैसे लाखो लोग का भागीदारी है ! वो किया किया पोल खोल सकते | घवराये नहीं हमारे विपक्ष के नेता जी भी कम नहीं है उनकी कारनामे भी उजागर ना हो इसलिए घुमाने का काम कर रहे है | ऐसे में आगे करना किया है ये अभी सोच नहीं पा रहा हमारा सिविल सोसायटी कियो की इनका तालुकात गंदे राजनीतियो से नहीं है | मैं काफी लोगो से समझने का कोसिस किया सिविल सोसायटी के बरे में जहा तक मैं समझ पा रहा हूँ की जन लोक पाल का किया होगा ये तो सुनिसचित नहीं कर सकता आम आदमी लेकिन ये आन्दोलन जनता को जागरूक बनाया | लोगो का कहना है की कही ना कही से सुरवात तो हुआ मै इस बात से काफी खुश हूँ की एक रिक्श्वा वाला भी जन लोकपाल के बरे में चर्चा पर ध्यान को केन्द्रित करता है जो इस देश के लिए बहुत बड़ा उपलब्धि है|

Monday, August 22, 2011

वैसे तो हम हनुमान है लेकिन आप हमें बन्दर कह सकते है ........

अन्ना हजारे को सादर नमन करते हुए ये ब्लॉग लिख रहा हूँ और गर्वान्वित भी हो रहा हूँ | मैं जिस परवरिश से तालुकात रखता हूँ वहा छोटे बच्चे को या कह सकते की मेरे बुजुर्ग ने हमें बाबु बीर कुवर सिंह की कहानी शिखाया महाराणा प्रताप शिवाजी की गाथा सुनाया जो आगे चल कर किताबो में भी पढ़ा | मेरे बुजुर्गो ने गाँधी जी का गाथा भी सुनाया और किताबो में भी पढ़ा लेकिन मैं गाँधी से कतई सहमत नहीं हूँ | मैं अगर उनको मानता हूँ तो मात्र इसलिए की वो हमारे मुद्रा पर विराजमान है और उसकी जरुरत हर किसी को होता | आज जो हम इतने आफद की जिन्दगी जी रहे बस उनीह का ये देन हैं | ये मेरा मानना है और इसपे किसी को प्रश्न करना तो कर सकते मैं उसका जवाब सही तर्क के साथ दे सकता हूँ जरुरत पारने पर | मुझे आज तक ये समझ नहीं आया की हमारा लोकतंत्र एक परिवार चलाता हैं तो कैसे इसे लोकतंत्र बोला जा सकता ये तो परिवारतंत्र है | जवहर लाल नेहरु > इन्द्रा गाँधी > राजीव गाँधी > सोनिया गाँधी > राहुल गाँधी, कियो ये कहाँ का लोकतंत्र है ? मैंने बी. आर . चोपरा द्वारा निर्मित महाभारत भी देखा है और उसे सदेव समझने का कोसिस करता हूँ | जहाँ तक समझ आता है राजा भरत ने कर्म को आधार मान कर जनतंत्र का नीव रखा था और राज सिंघासन को एक सुयोग्य के हाथ सोपा था ना की अपने सुपुत्र को | क्या मैं उसी भारतवर्ष का हूँ ये सोच कर स्ताभ्ध रहता हूँ | अब तक पढने पे आप सोच रहे होंगे की मैं क्या बताना चाह रहा हूँ |
मैं इन सात दिनों से बस लोगो में खरा होने पर बाद विवाद सुनता हूँ और खुद भी टिपनी कर देता हूँ | हर तरह के लोगो से वाकिफ होता हूँ कुछ का कहना होता कानून को इस तरह तोरा मरोरा नहीं जा सकता, जैसा अन्ना हजारे जी चाहते है | ऐसा बोलने वाले काफी किताबी अनुभव रखते है, और कुछ लोग कहते है ! सरकार गलत कर रही हैं जहाँ तक मेरा अनुभव है ऐसा बोलनेवाले सामान्य लोग हैं | जिनको बस दो वक्त की रोटी का चिंता रहता है | मुझे दोनों बातो में दम लगता है | वैसे तो मेरा कोई आदर्श नहीं है, मैं अपना आदर्श खुद को मानता हूँ लेकिन प्रेरणा लेता हूँ आगे बढ़ने के लिए महापुरशो का जिनमे सर्व्श्रेस्थ राजा भारत, भीष्म पितामह , विष्णु गुप्त (चाणक्य ), महाराणा प्रताप, पिर्थ्वी राज चोहान, बाबु बीर कुवर सिंह , विवेकानंद, विरसा मुंडा , खुदीराम बोस, मंगल पांडे, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह, आजाद इन सब का सबसे खाश बात जिससे मुझे प्रेरणा मिलता ये सभी साहसी थे और साहसी का साथ भाग्य देता है | इन महापुर्सो को मैं देखा नहीं केवल सुना और किताबो में पढ़ा लेकिन अन्ना हजारे जी का साहस को देख कर मैं जिन महापुर्सो का वर्णन किया उनकी झलक मैं अन्ना हजारे जी में अनुभव कर रहा हूँ | मैं नहीं जनता जन लोकपाल बिल सरकार मानती या नहीं लेकिन इतना जरुर समझ पा रहा हूँ की आम आदमी जो हनुमान के तरह है , जब तक इनहे अहसास नहीं दिलाओ की आप कितने ताकतवर है इन्हें समझ नहीं आता | अन्ना हजारे जी ने इतने हनुमा को अहसास कराया की लंका (सरकार ) का दहन होना तय है | इतना कुछ लिखने के बाद दिमाग में ये भी आ रहा है की ये ( हनुमान ) आम आदमी हनुमान जी के नाम पर बन्दर है खुद जानवर बने रहते है खुद गलती करते और खुद तमासा बनते है, खुद जागने की कोसिस नहीं करेंगे कोई जगानेवाला चाहिए | लिखने के लिए तो अभी काफी कुछ बाकि है , इन लेखनी को पढ़ कर अगर आप हमें कोसते है तो सायद आगे की लेखनी और अच्छा लिखने का कोसिस कर पाऊगा |